कवितायें:अमितेष जैन
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Thursday, 3 January 2013

बोलो जी पाओगी .....


Posted by Unknown at 02:42 No comments:
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Tuesday, 23 October 2012

कहीं दूर ......


Posted by Unknown at 00:15 No comments:
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Saturday, 15 September 2012

यांत्रिकी


Posted by Unknown at 05:52 No comments:
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    कविता - उनके नाम में कविता अपने काम में कविता लाखो की हजारों की फ्री में, दाम में कविता कोठो पर गिलासों में हर इक जाम में कविता संसद की सियासत के दायें वाम में कव...
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  • फलित ज्योतिष : सच या झूठ
    पुस्तक ‘फलित ज्योतिष कितना सच कितना झूठ’ की समीक्षा - jyotish sach ya jhuth पुस्तक ‘फलित ज्योतिष कितना सच कितना झूठ’ की समीक्षा (लेखिका - संगीता पुरी ) हर घर में रखी और पढी जाने लायक यह पुस्तक ‘फलित ज्योतिष क...
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  • मेरी बात
    हम,तुम और गुलाब - आज फिर तुम्हारी पुरानी स्मृतियाँ झंकृत हो गई और इस बार कारण बना वह गुलाब का फूल जिसे मैंने दवा कर किताबों के दो पन्नों के भूल गया गया था और उसकी हर पंखुड़िय...
    10 years ago
  • प्यारी माँ
    माँ बाप की अहमियत और फ़ज़ीलत - मदर्स डे पर विशेष भेंट इस्लाम में हुक़ूक़ुल ऐबाद की फ़ज़ीलत व अहमियत इंसानी मुआशरे में सबसे ज़्यादा अहम रुक्न ख़ानदान है और ख़ानदान में सबसे ज़्यादा अहमियत वालद...
    10 years ago
  • Yet another technology blog.
    Flashback Data Archive (Oracle Total Recall) 11g. - Starting from 11g Oracle has added another tool to its bundle of flashback technologies called Flashback Data Archive(Oracle Total Recall). With this fe...
    11 years ago
  • स मी क्षा
    नमक स्वादानुसार: अनकही कहानियों का लेखक - *रंगनाथ सिंह* निखिल सचान के पहले कहानी संग्रह नमक स्वादानुसार के बारे में मैंने एक फ़ेसबुक स्टेटस लिखा था. तब तक मैंने बस पाँच कहानियाँ ही पढ़ी थीं. बा...
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  • राजभाषा हिंदी
    रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 7 ........दिनकर - 'हाय, कर्ण, तू क्यों जन्मा था? जन्मा तो क्यों वीर हुआ? कवच और कुण्डल-भूषित भी तेरा अधम शरीर हुआ? धँस जाये वह देश अतल में, गुण की जहाँ नहीं पहचान? जाति-गोत्...
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    सारे जहाँ से अच्छा - सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा हम बुलबुलें हैं इसकी वो गुलिस्तां हमारा परबत वो सबसे ऊँचा हमसाया आसमां...
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    - पहले -पहल जब धरती कुनमुनाई थी उसकी गोद मे गिरा था बीज वृक्ष होने के लिए तब से बंद हूँ मै तुम्हारी हथेलियों मे, पहले पहल जब हवा जन्मी थी सहेजा था उस...
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    श्री हरीशचंद्र भार्गव जी........... - दोस्तों, आज आपकी मुलाक़ात कराता हूँ शिवपुरी की माटी के कवि और ज्योतिष रत्न श्री हरीशचंद्र भार्गव जी से| ये शायद एक ज्योतिषी का गुण ही है जिसके कारण आप को ...
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  • ग़ज़ल शिवपुरी
    ghazal sameeksha: ग़ज़ल कहना मुनासिब है यहीं तक - ghazal sameeksha: ग़ज़ल कहना मुनासिब है यहीं तक: ग़ज़ल के नये जिस्म को नये जेवर दिये हैं,डॉ.महेन्द्र अग्रवाल ने -आचार्य भगवत दुबे दुष्यंत के पहले और बाद मे...
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    - एक बार क्यूँ न वक़्त को मुल्तवी किया जाए..!! फिर घूँट भर चांदनी गटकी जाए.. उँगलियों से आकाश पर चाँद उकेरा जाए.. चुपचाप एक रेस्तरां में बेवजह बैठे हुए कोंफी स...
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    हिंदी कविता - दोस्तो, भाषासेतु और हिंदी साहित्य की दुनिया में पहली बार दाखिल होने वाले ये हैं नफीस खान। ३० नवम्बर १९८६ को बेतिया, बिहार में जन्मे नफीस जेएनयू में च...
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    ठहरिए होश में आ लूँ, तो चले जाइएगा - *Singers: Mohd. Rafi and Suman Kalyanpur* *ठहरिए होश में आ लूँ, तो चले जाइएगाउह हुँहआपको दिल में बिठा लूँ, तो चले जाइएगाउह हुँहआपको...
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